वाढत्या महागाईचे भयाण वास्तव साध्या सोप्या भाषेत समजेल असा हा महंगाई चालीसा नक्की वाचा, ऐका आणि शेअर करा.
मंत्री नेता दया के सागर I१I
सत्य कभी तुम करो उजागर I२I
मेहंगाई से जान छुडाओ I३I
जीने से इस मौत हे बेहतर I४I
शक्कर भी कडवी लागे I५I
इतनी मेहंगी किमत उसकी I६I
तेल की तो बात ना पुछो I७I
छोड चुके हे चाहत उसकी I८I
साबून महंगा, मंजन मेहंगा I९I
निरमा का भी बढ गया दाम I१०I
बाल को भी तेल लागाने का I११I
अब ना ले पाते हे नाम I१२I
तुवर, मुंग चने की दाल I१३I
मेहंगाईकी बडी मिसाल I१४I
किंमत जान कर लगता है I१५I
सोना ले रहे हे या दाल? I१६I
बाहर निकले तो डर लागे I१७I
पेट्रोल, डिझेल की किमत से I१८I
सीएनजी तो रोज हे महंगी I१९I
टॅक्सी भाडा बढा हे इससे I२०I
मेडिकल मे हर दवाई,अपना भाव बढा रही हे I२१I
बिमारी से डर ना लागे, हमे महंगाई डरा रही हे I२२I
चाय कभी मिलती सस्ती,पी ले ते थे हिम्मत करके I२३I
पत्ती,दूध हुवा हे महंगा, चाय छोड दी हमने डरके I२४I
वडा-पाव तो पांच रुपये मे,हर गरीब की भूक मिटाता I२५I
आलू, तेल की महंगाई से, पंद्रह मे बस एक ही आता I२६I
रोटी- सब्जी बिस की थी तब, दो वक्त की खा पाते थे I२७I
अब तो पानी पी पी के बस्स, दो रोटी मे चूप सो जाते I२८I
मेरा देश बदल रहा है, कामयाबी की राहो मे I२९I
फिर भी कैसे हम अभागे ,भूक,गरिबी की बाहो मे? I३०I
क्या हिंदू क्या मुस्लिम साहब, सबको बेकारी और निराशा है I३१I
किसीं मंदिर-मस्जिद का पता दो, जहाँ नौकरी मिलने की आशा है I३२I
कोई मदरसा-माता की चौकी हमे बतादो , जहा मेरे बिमार बच्चे के इलाज के पैसे मिल सके I३३I
ऐसा कोई दर हमे बताओ जहा हर खाने की चीज सस्ती मिल सके I३४I
जिने की चाह तो हे हमको भी, इस मेहंगाई मे जी ना सकेंगे I३५I
रोजगार धुंडने जा रहे है साहब ,मंदिर-मस्जिद ना आ सकेंगे I३६I
माफ करो हमे धर्म के खिलाफ ना समझो,पर कोई भोपु ना बजा पाएंगे I३७I
जालीम भूक से लड रहे है, धर्म युद्ध मे ना जा पाएंगे I३८I
यही हमारी जिंदगी है, यही हमारी चालीसा I३९I
आपका ये धर्म युद्ध क्यू लगे हमे जाली सा? I४०I
प्रमोद पवार
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